बकरी पालन में है रोजगार और तरक्की की असीम संभावनाएं
बकरी पालन की यात्रा – इतिहास से आज तक –
मियोसीन युग में आज से करीब 2.3 तीन करोड़ वर्ष पहले मध्य एशिया के क्षेत्र में बकरियों की प्रजाति की उत्पत्ति हुई थी। इसी क्षेत्र से इनका फैलाव पूरी दुनिया में होता चला गया मीयोसीन युग में पाए जाने वाली बकरियां बिना सींगो वाली और छोटे कद की होती थी.
इंसानी सभ्यता में कृषि के विकास के साथ-साथ बकरी ऐसे पहले पशुओं में से थी जिसे पालतू बनाया गया.
आज से 11000 वर्ष पहले ईरान के जैगरस पर्वतों में, तब के मेसोपोटामिया और आज के इराक में,मिस्र में बकरी पालन के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं. इन सभ्यताओं में बकरी पालन मांस, दूध, चमड़ी और रेशे और ऊन के लिए किया जाता था.
उपरोक्त सभी तरह के उदाहरण से ही स्पष्ट होता है कि बकरी पालन मध्य एशिया से और आसपास के क्षेत्र में इंसानी सभ्यता संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका था. और आसपास सब जगह इसका फैलाव होता चला गया था.
सिंधु घाटी सभ्यता के कालखंड में आज के पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के मेहरगढ़ में हड़प्पा कालीन कुछ वस्तुएं मिली हैं इनमें से कुछ वस्तुओं में बकरी पालन किये जाने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं .यह सिंधु घाटी की सभ्यता में बकरी पालन के सामाजिक व सांस्कृतिक संबंधों को दिखाता है. बिहार की प्राचीन यूनिवर्सिटी नालंदा विश्वविद्यालय में भी बकरी के दूध के उपयोग की जानकारी मिली है.
इसके अलावा भारतवर्ष के अनेक प्राचीन ग्रंथो में बकरी के दूध की उपयोगिता और गुणों का वर्णन मिलता है .इसमें से प्रमुख हैं चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और सातवीं शताब्दी के लिखा गया ग्रंथ अष्टांग हृदय.
औषधि विज्ञान पर 16वीं शताब्दी में लिखी गई भाव मिश्र की पुस्तक भाव प्रकाश में बकरी के दूध के औषधीय गुणों का वर्णन मिलता है.
आयुर्वेद के अनुसार बकरी का दूध पाचन तंत्र के लिए. हड्डियों की मजबूती के लिए, श्वसन तंत्र, त्वचा के लिए और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गुणकारी माना गया है.
अमेरिका में बकरी पालन काफी देर से शुरू हुआ था 16वीं शताब्दी में स्पेनिश उपनिवेशकों के अमेरिका जाने पर बकरी पालन का प्रचलन वहां शुरू हो पाया था.
भारत में बकरी पालन –
आज का भारत पूरे विश्व में बकरी पालन में अपना अग्रणी स्थान रखता है. हमारे देश में दुनिया की कुल बकरियों की आबादी का 25% हिस्सा पाया जाता है यह संख्या विश्व में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है. हमारे देश में करीब 148.88 मिलियन अच्छा लगभग 15 करोड़ बकरियां पाई जाती हैं.
हमारे देश में बकरियों की कुल संख्या के हिसाब से राजस्थान राज्य का नंबर शीर्ष पर आता है राजस्थान में देश में पाए जाने वाले कल बकरियों का 24% हिस्से के साथ लगभग ढाई करोड़ बकरियां पाई जाती हैं. इसके बाद दूसरा नंबर पश्चिम बंगाल का और तीसरा नंबर उत्तर प्रदेश का आता है.
हमारे देश के सकल घरेलू उत्पादन में कल पशुधन की आय का 8.4% हिस्सा बकरी पालन से प्राप्त होता है यह योगदान लगभग 40000 करोड़ रूपयों के आसपास बैठता है.
बकरी पालन का सकल घरेलू उत्पादन में योगदान –
बकरियों के मांस से प्राप्त होने वाली आय 22625 करोड़
बकरियों के दूध से प्राप्त होने वाले आए 9564 करोड़
बकरियों की चमड़ी से प्राप्त होने वाली आय 1491 करोड़
बकरियों के गोबर की खाद से आय 1535 करोड़
बकरी पालन से अन्य किस्म की आय 3360 करोड रुपए
2021 के आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में बकरी पालन से होने वाले कुल दूध उत्पादन में भारत का पहला स्थान आता है। पूरी दुनिया में बकरी पालन से 18.9 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ और हमारे देश में 6 पॉइंट 3 मिलियन टन का दूध का उत्पादन हुआ भारत में बकरी पालन से हुआ दूध उत्पादन पूरे विश्व की 33.3 प्रतिशत की हिस्सेदारी को दर्शाता है। इसके साथ ही विश्व में बकरी के मांस उत्पादन में भारत की 24.2% की हिस्सेदारी है यह चीन के बाद दूसरे नंबर पर है। भारत के बकरी पालन से मांस का निर्यात पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मध्य पूर्व एशिया क्षेत्र के देश कतर को किया जाता है.
2022 के आंकड़ों के हिसाब से देश के कुल दूध उत्पादन प्रति 100 लीटर में से ढाई लीटर दूध बकरियों से प्राप्त होता है अर्थात कुल दूध का यह ढाई प्रतिशत है.
वर्ष 2012 से लेकर 2019 तक बकरियों की आबादी में 10. 4% की रफ्तार से वृद्धि दर्ज की गई है.
बकरी पालन में रोजगार के अवसर और संभावनाएं –
बकरी पालन का व्यवसाय लगभग 6.5 % की रफ्तार से हर वर्ष आगे बढ़ रहा है.
बकरी पालन के व्यवसाय को अपनाने से मध्यम, छोटे सीमांत एवं भूमिहीन किसानों के लिए हर वर्ष ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के लगातार नए अवसर पैदा हो रहे हैं.
वर्ष 2022 में बकरी पालन के द्वारा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से करीब 2 करोड लोगों को रोजगार मिला जो कि पशुपालन के क्षेत्र में उत्पन्न हुए कल रोजगार के अवसरों का 15% है. इन रोजगार के नए अवसरों के पैदा होने का सीधा संबंध हमारे देश के लगभग 5 लाख गांवों की तरक्की से प्रत्यक्ष जुड़ता है.
बकरी पालन का बिजनेस –
आज के समय में बहुत से लोग गोट फार्मिंग या बकरी पालन का बिजनेस करना चाहते हैं. इनमें से बहुत से लोग हैं जो पहले से ही खेती किसानी का काम कर रहे हैं या पशुपालन के काम में शामिल हैं .लेकिन बहुत से पढ़े लिखे और युवा लोग भी बकरी पालन का बिजनेस करना चाह रहे हैं.
इसमें वह लोग भी शामिल हैं जो पहले से ही बकरी पालन का काम छोटे स्तर पर कर रहे हैं और अपने काम को और बड़े स्तर पर ले जाना चाह रहे हैं.
इसलिए बकरी पालन को बिजनेस के रूप में विकसित करने की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है .यह बढ़ती हुई डिमांड ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के नए अवसरों का उत्साहजनक तरीकों से रचना करने वाली है.
विश्व में करीब 300 बकरियों की रजिस्टर्ड नस्ल पाई जाती हैं. हमारे देश भारत में NBAGR के अनुसार बकरियों की 37 रजिस्टर्ड नस्लों की पहचान की गई है. भारत में पाई जाने वाली बकरियां की 75% आबादी अवर्णनीय या नोनडिस्करिप्ट है.
आज के समय में बकरी पालन करने वाले नए लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन बकरियों की शुद्ध नस्लों की बहुत ज्यादा कमी है. बकरी पालन से अधिकतम मुनाफा कमाने के लिए बकरियां की अच्छी नस्ल का होना बकरी पालन का एक महत्वपूर्ण घटक है.
ज्यादातर लोग बकरी पालन को बकरी के मांस से जुड़ा हुआ बिजनेस मानते हैं. लेकिन आज के समय में पूरी दुनिया में और हमारे देश में भी बकरी के दूध और दूध के उत्पादों की डिमांड भी लगातार बढ़ती जा रही है. सभी को पता है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बकरी के दूध का उपयोग करते थे और इसे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद मानते थे. और आज का भारतीय समाज भी हमेशा की तरह बकरी के दूध को स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी मानता है. आज के समय में विश्व के स्तर पर और हमारे देश के स्तर पर भी बहुत बड़े-बड़े ब्रांड और कंपनियां बकरी के दूध और दूध उत्पादों की बिक्री करके अपना बिजनेस कर रहे हैं. जिसमें ये कंपनियां नाम और पैसा दोनों कमा रहीं हैं.
डाटा ब्रिज मार्केट रिसर्च की वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक बकरी के दूध और उत्पादन का मार्केट 18 बिलियन डॉलर का हो जाएगा और एक अन्य वेबसाइट फ्यूचर मार्केट इनसाईट के अनुसार 2033 बकरी के दूध और उत्पादन का बाजार करीब 21 पॉइंट 7 बिलियन डॉलर का हो जाएगा इससे बड़े पैमाने पर पूरी दुनिया भर में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे .
आज अगर आप ई-कॉमर्स वेबसाइट अमेजॉन फ्लिपकार्ट पर नजर डालें तो बकरी के दूध के पाउडर और घी के बहुत से ब्रांड और कंपनियां आपको वहां पर अपने उत्पाद बेचते हुए नजर आ जाएंगे.
कुछ कंपनियां तो बकरी के दूध का घी ₹3500 प्रति लीटर तक भी बेच रही हैं। हाल फिलहाल के दिनों में स्वामी रामदेव की कंपनी पतंजलि ने भी बकरी के दूध की पाउडर बिक्री आरंभ कर दी है.बकरी के गोबर में नाइट्रोजन व फास्फोरस की मात्रा अधिक होने की वजह से उर्वरकता काफी ज्यादा होती है. इसी वजह से बकरी के गोबर से बनी हुई खाद ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर ₹100 से लेकर 150 रुपए प्रति किलोग्राम तक बिक रही है.
ठंडे इलाकों में पाए जाने वाली बकरी की नस्ल चगंथांगी से कश्मीरी पश्मीना ऊन प्राप्त होती है जिसके की पूरी दुनिया भर के बाजारों में डिमांड हमेशा रहती है.
उपरोक्त सभी तमाम तरह की वजह से आप आपको पता लग गया होगा कि बकरी पालन की बिजनेस की आने वाले समय में डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ाने वाली है.
अब वह दिन गए जब बकरी को गरीब की गाय कहकर संबोधित किया जाता था . गोट फार्मिंग या बकरी पालन वर्तमान में और आने वाले समय में रोजगार सृजन एवं समृद्धि की असीमित संभावनाओं के क्षेत्र के रूप में आगे बढ़ रहा है.
गोट फार्मिंग के विभिन्न आयामों को आने वाले समय में विभिन्न कड़ियों के माध्यम से शृंखलाबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया जाएगा.
उम्मीद करते हैं कि आगे भी पशुपालन टॉक्स के सभी माध्यमों से आप सभी साथी लगातार अपना जुड़ाव बनाए रखेंगे.
*नोट – बकरी पालन से जुड़ी हुई क्विज में भाग लेने के लिए पशुपालन टाक्स की https://pashupalantalks.com/quiz/sample-quiz क्विज कैटेगरी में जाकर वहां पूछे गए प्रश्नों का उत्तर सबमिट करें और अपने नालेज को चेक करें.