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कमाई का शानदार बिजनेस – कड़कनाथ मुर्गी पालन

कड़कनाथ नस्ल की उत्पत्ति मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से हुई थी और इसी उत्पत्ति की वजह से उस क्षेत्र में कड़कनाथ मुर्गे की इस प्रजाति को जीआई टैग मिला हुआ है.
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kadaknath breed of poultry
आज के समय में कड़कनाथ नस्ल की मुर्गियों का पोल्ट्री फार्म कमाई का शानदार बिजनेस मॉडल बनकर उभर रहा है.
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कड़कनाथ नस्ल की उत्पत्ति मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से हुई थी और इसी उत्पत्ति की वजह से उस क्षेत्र में कड़कनाथ मुर्गे की इस प्रजाति को जीआई टैग मिला हुआ है.

कड़कनाथ मुर्गी पालन विस्तार से –

आज के समय पूरे विश्व में हर व्यक्ति में अपनी प्रतिदिन की डाइट के प्रति जागरूकता बढ़ रही है. प्रत्येक जागरूक व्यक्ति चाहता है कि आहार में उसकी दिन-प्रतिदिन की प्रोटीन की डिमांड की भली-भांति रूप से पूर्ति हो सके. प्रतिदिन के भोजन में प्रोटीन की पूर्ति के साथ-साथ उसके आहार में हृदय रोगों से बचाव के लिए कोलेस्ट्रोल एवं खराब किस्म की वसा की मात्रा कम से कम हो. इन सब जरूरतों को मद्देनजर रखते हुए पोल्ट्री फार्म इंडस्ट्री में कड़कनाथ मुर्गी पालन बिजनेस की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है.

कड़कनाथ मुर्गी पालन बिजनेस की डिमांड ज्यादा होने के मुख्य कारण-

  • कड़कनाथ मुर्गी के मांस में प्रोटीन का अधिक पाया जाना और कोलेस्ट्रोल का कम पाया जाना.
  • कड़कनाथ मुर्गी के मांस में आयरन की मात्रा भी अन्य मुर्गियों पर जातियों की तुलना में ज्यादा पाई जाती है.
  • कड़कनाथ मुर्गी के मांस का मार्केट भाव भी अन्य मुर्गियों की तुलना में ज्यादा होते हैं.

उपरोक्त सभी कारणों की वजह से कड़कनाथ नस्ल को मुर्गियों की प्रजाति को सबसे अधिक महंगे भाव का माना जाता है. कड़कनाथ नस्ल की उत्पत्ति मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले से हुई थी और इसी उत्पत्ति की वजह से उस क्षेत्र में कड़कनाथ मुर्गे की इस प्रजाति को जीआई टैग मिला हुआ है. किसी नस्ल के लिए जी आई टैगिंग का निर्धारण उस क्षेत्र विशेष में भौगोलिक उत्पत्ति और विशिष्ट गुणों के आधार पर किया जाता है. लेकिन अब मुर्गियों की इस कड़कनाथ नस्ल की फार्मिंग देश के अलग-अलग हिस्सों में होने लगी है.

भारतीय क्रिकेट के चमकदार सितारे व पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी खेती – किसानी एवं पशुपालन में अपनी विशेष रुचि रखते हैं. महेंद्र सिंह धोनी के पास कड़कनाथ नस्ल की मुर्गीयों का अपना स्वयं का एक फार्म भी है.
कड़कनाथ मुर्गी का अंडा मार्केट में ₹ 50 का और मांस की कीमत 800 से 1200 ₹ प्रति किलोग्राम तक आंकी गई है.
मुर्गियों की कड़कनाथ नस्ल काले रंग की होती है. इस नस्ल में में आयरन की मात्रा ज्यादा होने से खून व मांस का रंग काला होता है और अंडे भूरे रंग के होते हैं.कड़कनाथ मुर्गी की प्रजाति में नर मुर्गे का वजन 4.50 किलोग्राम से लेकर 6.50 किलोग्राम तक होता है और मादा मुर्गी का वजन 3.50 से 4.50 किलोग्राम तक होता है. कड़कनाथ मुर्गी लगभग साल भर में 80 अंडे तक देती है.
कड़कनाथ मुर्गियों की प्रजाति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने से इसमें बीमारियों की संभावना अन्य मुर्गियों की प्रजाति की तुलना में कम होती है. कड़कनाथ मुर्गी पालन अन्य नस्ल की मुर्गी पालन की तुलना में अधिक आसान होता है.
कड़कनाथ नस्ल की मुर्गीयों के मास में वसा एवं कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होने से यह दिल और डायबिटीज और विभिन्न रोगियों के लिए फायदेमंद माना जाता है.अन्य देसी मुर्गी पालन की तरह ही कड़कनाथ मुर्गी पालन की लोकप्रियता, इनका रखरखाव आसान होने की वजह से दिन प्रतिदिन तीव्र गति से बढ़ती जा रही है.
अन्य मुर्गी पालन की तरह ही कड़कनाथ नस्ल के मुर्गियों को दिया जाने वाला आहार भी संतुलित व पौष्टिक होना जरूरी है होता है. कड़कनाथ मुर्गियों को बीमारियों से बचाने के लिए समय रहते वैक्सीनेशन या टीकाकरण अवश्य करवाया जाना चाहिए.

कड़कनाथ मुर्गी पालन के लिए लोन एवं सब्सिडी योजना –

राष्ट्रीय पशुधन मिशन (नेशनल लाइवस्टोक मिशन) के माध्यम से एवं नाबार्ड के पोल्ट्री वेंचर कैपिटल फंड( पी वी सी ऐफ) के द्वारा कड़कनाथ मुर्गी पालन के लिए देश के सभी राज्यों में लोन और सब्सिडी का लाभ लिया जा सकता है.
राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत पोल्ट्री फॉर्म बिजनेस के क्षेत्र में रोजगार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा अधिकतम 25 लाख रुपए तक की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है.
कड़कनाथ मुर्गी पालन शुरू करने से पहले पशुपालक या किसान को पर्याप्त ट्रेनिंग लेनी चाहिए एवं शुरुआत छोटे फार्म से करनी चाहिए. कड़कनाथ मुर्गी पालन के बिजनेस को व्यवसायिक रूप से लाभकारी बनाने के लिए समय-समय पर पशु चिकित्सक से मार्गदर्शन लेते रहना चाहिए एवं मुर्गियों में टीकाकरण भी समय रहते करवा लेना चाहिए.

मुर्गियों की कड़कनाथ नस्ल की उत्पत्ति देश के कौन से जिले से मानी गयी है ?

मुर्गियों की कड़कनाथ नस्ल की उत्पत्ति मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से मानी गई है.

राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत पोल्ट्री फार्म बिजनेस के क्षेत्र में सरकार द्वारा अधिकतम कितने लाख रुपए की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है?

अधिकतम 25 लख रुपए तक की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है .

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कड़कनाथ नस्ल की मुर्गियों का मांस अच्छी गुणवत्ता का क्यों माना जाता है ?

कड़कनाथ नस्ल की मुर्गियों के मांस में प्रोटीन का अधिक स्तर पाया जाता है और कोलेस्ट्रॉल कम पाया जाता है.

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